सरहद-ए-गुल से निकल कर हम जुदा हो जाएँगे

सरहद-ए-गुल से निकल कर हम जुदा हो जाएँगे

कल तुम्हारी क़ैद-ए-ख़ुशबू से रहा हो जाएँगे

ज़ेहन में एहसास-ए-रुख़्सत ही न होगा शाम तक

बढ़ते बढ़ते दिन के लम्हे यूँ हवा हो जाएँगे

छोड़ जाओ दामन-ए-इमरोज़ में भी कुछ न कुछ

वर्ना तुम से ताइर-ए-फ़र्दा ख़फ़ा हो जाएँगे

जब न हो कार-ए-नफ़स तो फिर हमारे साथ साथ

ये ज़मीन-ओ-आसमाँ दोनों फ़ना हो जाएँगे

सामने है साअ'त-ए-आख़िर का अन-देखा अज़ाब

उम्र-भर कहते रहे अब बे-नवा हो जाएँगे

(802) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Sarhad-e-gul Se Nikal Kar Hum Juda Ho Jaenge In Hindi By Famous Poet Hameed Almas. Sarhad-e-gul Se Nikal Kar Hum Juda Ho Jaenge is written by Hameed Almas. Complete Poem Sarhad-e-gul Se Nikal Kar Hum Juda Ho Jaenge in Hindi by Hameed Almas. Download free Sarhad-e-gul Se Nikal Kar Hum Juda Ho Jaenge Poem for Youth in PDF. Sarhad-e-gul Se Nikal Kar Hum Juda Ho Jaenge is a Poem on Inspiration for young students. Share Sarhad-e-gul Se Nikal Kar Hum Juda Ho Jaenge with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.