हम ढूँडते फिरते रहे तस्वीर हवा की
हम ढूँडते फिरते रहे तस्वीर हवा की
पानी पे थिरकती रही तहरीर हवा की
सुनते हैं समझते नहीं मतलब न मआ'नी
होती है दरख़्तों से जो तक़रीर हवा की
एहसास नहीं है जिन्हें बे-बाल-ओ-परी का
करते हैं हवा में वही ता'मीर हवा की
देखा ही नहीं उस को किसी आँख ने अब तक
खींची है मुसव्विर ने जो तस्वीर हवा की
मैं बर-सर-ए-पैकार हूँ ख़ुद अपनी घुटन से
कोई तो करे दश्त में तदबीर हवा की
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