Ghazals of Hamdam Kashmiri
नाम | हमदम कशमीरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hamdam Kashmiri |
ज़रा सोचो तो मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ है
ज़बाँ के साथ यहाँ ज़ाइक़ा भी रक्खा है
यक़ीन कैसे करूँगा गुमाँ में रहता हूँ
वहम कोई गुमाँ में था ही नहीं
मिलता है हर चराग़ को साया ज़मीन पर
काम आसाँ है मगर देखिए दुश्वार भी है
हम ढूँडते फिरते रहे तस्वीर हवा की
हम अपने आप को फिर आज़मा के देखेंगे
हुआ है सामने आँखों के ख़ानदाँ आबाद
है मशक़्क़त मिरी इनआ'म किसी और का है
एक क़तरा न कहीं ख़ूँ का बहा मेरे बअ'द
छटी है राह से गर्द-ए-मलाल मेरे लिए