Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_80fe694cfd30d741081ba1ecb6fcc78d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कभी वो हाथ न आया हवाओं जैसा है - हकीम नासिर कविता - Darsaal

कभी वो हाथ न आया हवाओं जैसा है

कभी वो हाथ न आया हवाओं जैसा है

वो एक शख़्स जो सच-मुच ख़ुदाओं जैसा है

हमारी शम-ए-तमन्ना भी जल के ख़ाक हुई

हमारे शो'लों का आलम चिताओं जैसा है

वो बस गया है जो आ कर हमारी साँसों में

जभी तो लहजा हमारा दुआओं जैसा है

तुम्हारे बा'द उजाले भी हो गए रुख़्सत

हमारे शहर का मंज़र भी गाँव जैसा है

वो एक शख़्स जो हम से है अजनबी अब तक

ख़ुलूस उस का मगर आश्नाओं जैसा है

हमारे ग़म में वो ज़ुल्फ़ें बिखर गईं 'नासिर'

जभी तो आज का मौसम भी छाँव जैसा है

(1309) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kabhi Wo Hath Na Aaya Hawaon Jaisa Hai In Hindi By Famous Poet Hakeem Nasir. Kabhi Wo Hath Na Aaya Hawaon Jaisa Hai is written by Hakeem Nasir. Complete Poem Kabhi Wo Hath Na Aaya Hawaon Jaisa Hai in Hindi by Hakeem Nasir. Download free Kabhi Wo Hath Na Aaya Hawaon Jaisa Hai Poem for Youth in PDF. Kabhi Wo Hath Na Aaya Hawaon Jaisa Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Kabhi Wo Hath Na Aaya Hawaon Jaisa Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.