हकीम नासिर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हकीम नासिर
नाम | हकीम नासिर |
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अंग्रेज़ी नाम | Hakeem Nasir |
जन्म की तारीख | 1947 |
मौत की तिथि | 2007 |
जन्म स्थान | Karachi |
ये तमाशा भी अजब है उन के उठ जाने के बाद
ये दर्द है हमदम उसी ज़ालिम की निशानी
वो मुझे छोड़ के इक शाम गए थे 'नासिर'
वो जो कहता था कि 'नासिर' के लिए जीता हूँ
उस के दिल पर भी कड़ी इश्क़ में गुज़री होगी
तुम्हारे बाद उजाले भी हो गए रुख़्सत
पत्थरो आज मिरे सर पे बरसते क्यूँ हो
मय-कशी गर्दिश-ए-अय्याम से आगे न बढ़ी
जिस ने भी मुझे देखा है पत्थर से नवाज़ा
जब से तू ने मुझे दीवाना बना रक्खा है
घर में जो इक चराग़ था तुम ने उसे बुझा दिया
दो घड़ी दर्द ने आँखों में भी रहने न दिया
आसान किस क़दर है समझ लो मिरा पता
आप क्या आए कि रुख़्सत सब अंधेरे हो गए
ज़िंदगी को न बना लें वो सज़ा मेरे बाद
मय-कशी गर्दिश-ए-अय्याम से आगे न बढ़ी
कभी वो हाथ न आया हवाओं जैसा है
जब से तू ने मुझे दीवाना बना रक्खा है
जब भी जलेगी शम्अ तो परवाना आएगा
इश्क़ कर के देख ली जो बेबसी देखी न थी
इस राह-ए-मोहब्बत में तो आज़ार मिले हैं
हाए वो वक़्त-ए-जुदाई के हमारे आँसू
ऐ दोस्त कहीं तुझ पे भी इल्ज़ाम न आए
आँखों ने हाल कह दिया होंट न फिर हिला सके