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Hakeem Manzoor Love In Hindi - Best Love Of Hakeem Manzoor Poetry Collection In Hindi - Darsaal

Love Poetry of Hakeem Manzoor

Love Poetry of Hakeem Manzoor
नामहकीम मंज़ूर
अंग्रेज़ी नामHakeem Manzoor

मुझ में थे जितने ऐब वो मेरे क़लम ने लिख दिए

हर एक आँख को कुछ टूटे ख़्वाब दे के गया

गिरेगी कल भी यही धूप और यही शबनम

अपनी नज़र से टूट कर अपनी नज़र में गुम हुआ

वो जो अब तक लम्स है उस लम्स का पैकर बने

टूट कर बिखरे न सूरज भी है मुझ को डर बहुत

सारे मामूलात में इक ताज़ा गर्दिश चाहिए

सारे चेहरे ताँबे के हैं लेकिन सब पर क़लई है

फूल हो कर फूल को क्या चाहना

मुंतशिर सायों का है या अक्स-ए-बे-पैकर का है

मिरे वजूद की दुनिया में है असर किस का

कुछ समझ आया न आया मैं ने सोचा है उसे

कोई पयाम अब न पयम्बर ही आएगा

ख़ुशबुओं की दश्त से हमसायगी तड़पाएगी

ख़ुद अपने-आप से मिलने का मैं अपना इरादा हूँ

हर एक आँख को कुछ टूटे ख़्वाब दे के गया

है इज़्तिराब हर इक रंग को बिखरने का

ढल गया जिस्म में आईने में पत्थर में कभी

छोड़ कर बार-ए-सदा वो बे-सदा हो जाएगा

भेजता हूँ हर रोज़ मैं जिस को ख़्वाब कोई अन-देखा सा

बयाबाँ-ज़ाद कोई क्या कहे ख़ुद बे-मकाँ है

अज़िय्यतों को किसी तरह कम न कर पाया

अपनी नज़र से टूट कर अपनी नज़र में गुम हुआ

अजब सहरा बदन पर आब का इबहाम रक्खा है

आगे पीछे उस का अपना साया लहराता रहा

आग जो बाहर है पहुँचेगी अंदर भी

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