Khawab Poetry of Hakeem Manzoor
नाम | हकीम मंज़ूर |
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अंग्रेज़ी नाम | Hakeem Manzoor |
हर एक आँख को कुछ टूटे ख़्वाब दे के गया
सारे चेहरे ताँबे के हैं लेकिन सब पर क़लई है
सफ़र ही कोई रहेगा न फ़ासला कोई
मेरे सामने मेरे घर का पूरा नक़्शा बिखरा है
ख़ुशबुओं की दश्त से हमसायगी तड़पाएगी
हर एक आँख को कुछ टूटे ख़्वाब दे के गया
भेजता हूँ हर रोज़ मैं जिस को ख़्वाब कोई अन-देखा सा
अपनी नज़र से टूट कर अपनी नज़र में गुम हुआ