Sad Poetry of Hairat Gondvi
नाम | हैरत गोंडवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hairat Gondvi |
रह रह के कौंदती हैं अंधेरे में बिजलियाँ
मुझे ऐ रहनुमा अब छोड़ तन्हा
तुझे बातों में लाना चाहता हूँ
जुनूँ का मिरे इम्तिहाँ हो रहा है
हुस्न है काफ़िर बनाने के लिए
हुस्न भी है पनाह में इश्क़ भी है पनाह में
'हैरत' के दिल पे वार किया हाए क्या किया
है इतना ही अब वास्ता ज़िंदगी से
आईना देखता हूँ नज़र आ रहे हो तुम