रह रह के कौंदती हैं अंधेरे में बिजलियाँ
तुम याद कर रहे हो कि याद आ रहे हो तुम
Anwar Masood
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Wasi Shah
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Habib Jalib
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Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Rahat Indori
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मोहब्बत में इंकार कितना हसीं है
हुस्न भी है पनाह में इश्क़ भी है पनाह में
जुनूँ का मिरे इम्तिहाँ हो रहा है
आईना देखता हूँ नज़र आ रहे हो तुम
हँस हँस के अपना दामन-ए-रंगीं दिया मुझे
'हैरत' के दिल पे वार किया हाए क्या किया
गुलों से नहीं शाख़ के दिल से पूछो
हुस्न है काफ़िर बनाने के लिए
ग़रीबी अमीरी है क़िस्मत का सौदा
तुझे बातों में लाना चाहता हूँ