हुस्न है काफ़िर बनाने के लिए
हुस्न है काफ़िर बनाने के लिए
इश्क़ है ईमान लाने के लिए
दिल मिला है रहम खाने के लिए
ग़म मिला है मुस्कुराने के लिए
माँगता हूँ बादा-ए-इश्क़-ए-दवाम
तिश्नगी अपनी बढ़ाने के लिए
ख़ाना-ए-दिल मैं ने ख़ाली कर दिया
आप ही के आने जाने के लिए
ले गई क्या दे गई मुझ को ख़िज़ाँ
चार तिनके आशियाने के लिए
इश्क़ है ख़ुद इम्तिहाँ जान-ए-अज़ीज़
आज़माने आज़माने के लिए
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