हैरत गोंडवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हैरत गोंडवी
नाम | हैरत गोंडवी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Hairat Gondvi |
रह रह के कौंदती हैं अंधेरे में बिजलियाँ
मुझे ऐ रहनुमा अब छोड़ तन्हा
कुछ मिरी बे-क़रारियाँ कुछ मिरी ना-तवानियाँ
हुस्न है काफ़िर बनाने के लिए
हँस हँस के अपना दामन-ए-रंगीं दिया मुझे
गुलों से नहीं शाख़ के दिल से पूछो
ग़रीबी अमीरी है क़िस्मत का सौदा
तुझे बातों में लाना चाहता हूँ
मोहब्बत में इंकार कितना हसीं है
जुनूँ का मिरे इम्तिहाँ हो रहा है
हुस्न है काफ़िर बनाने के लिए
हुस्न भी है पनाह में इश्क़ भी है पनाह में
'हैरत' के दिल पे वार किया हाए क्या किया
है इतना ही अब वास्ता ज़िंदगी से
आईना देखता हूँ नज़र आ रहे हो तुम