हैरत इलाहाबादी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हैरत इलाहाबादी
नाम | हैरत इलाहाबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hairat Allahabadi |
मौत की तिथि | 1892 |
न तो कुछ फ़िक्र में हासिल है न तदबीर में है
कहा आशिक़ से वाक़िफ़ हो तो फ़रमाया नहीं वाक़िफ़
अपना ही हाल तक न खुला मुझ को ता-ब-मर्ग
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं
ये महव हुए देख के बे-साख़्ता-पन को
सुना है ज़ख़्मी-ए-तेग़-ए-निगह का दम निकलता है
बोसा लिया जो चश्म का बीमार हो गए
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं