Love Poetry of Haidar Ali Aatish
नाम | हैदर अली आतिश |
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अंग्रेज़ी नाम | Haidar Ali Aatish |
जन्म की तारीख | 1778 |
मौत की तिथि | 1847 |
जन्म स्थान | Lucknow |
शब-ए-वस्ल थी चाँदनी का समाँ था
क़ैद-ए-मज़हब की गिरफ़्तारी से छुट जाता है
न पाक होगा कभी हुस्न ओ इश्क़ का झगड़ा
मेहंदी लगाने का जो ख़याल आया आप को
मसनद-ए-शाही की हसरत हम फ़क़ीरों को नहीं
कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवा
ईद-ए-नौ-रोज़ दिल अपना भी कभी ख़ुश करते
भरा है शीशा-ए-दिल को नई मोहब्बत से
बयाँ ख़्वाब की तरह जो कर रहा है
अजब तेरी है ऐ महबूब सूरत
ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी है
ऐ फ़लक कुछ तो असर हुस्न-ए-अमल में होता
आसमान और ज़मीं का है तफ़ावुत हर-चंद
आसार-ए-इश्क़ आँखों से होने लगे अयाँ
ज़िंदे वही हैं जो कि हैं तुम पर मरे हुए
ये किस रश्क-ए-मसीहा का मकाँ है
यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया
या-अली कह कर बुत-ए-पिंदार तोड़ा चाहिए
वो नाज़नीं ये नज़ाकत में कुछ यगाना हुआ
वहशत-ए-दिल ने किया है वो बयाबाँ पैदा
वही चितवन की ख़ूँ-ख़्वारी जो आगे थी सो अब भी है
उन्नाब-ए-लब का अपने मज़ा कुछ न पूछिए
तुर्रा उसे जो हुस्न-ए-दिल-आज़ार ने किया
तेरी जो याद ऐ दिल-ख़्वाह भूला
ताज़ा हो दिमाग़ अपना तमन्ना है तो ये है
तार-तार-ए-पैरहन में भर गई है बू-ए-दोस्त
ताक़-ए-अबरू हैं पसंद-ए-तब्अ इक दिल-ख़्वाह के
सूरत से इस की बेहतर सूरत नहीं है कोई
शोहरा-ए-आफ़ाक़ मुझ सा कौन सा दीवाना है
शब-ए-वस्ल थी चाँदनी का समाँ था