ए'तिराफ़
आज मैं आईने के मुक़ाबिल खड़ा हूँ
मसर्रत की ख़्वाहिश
मिरे वास्ते मौत का ज़ाइक़ा बन चुकी है
सुलगती हुई ख़्वाहिशों से हिरासाँ बदन
जुस्तुजू से गुरेज़ाँ है
ख़ुश-बख़्तों के लिए कामयाबी का कोई बहाना नहीं
जानता हूँ
कि मेरा सफ़र
एक दहशत-ज़दा आरज़ू का सफ़र है
मेरी रहगुज़र
कर्ब की रहगुज़र है
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