सिर्फ़ ज़बाँ की नक़्क़ाली से बात न बन पाएगी 'हफ़ीज़'
सिर्फ़ ज़बाँ की नक़्क़ाली से बात न बन पाएगी 'हफ़ीज़'
दिल पर कारी चोट लगे तो 'मीर' का लहजा आए है
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सिर्फ़ ज़बाँ की नक़्क़ाली से बात न बन पाएगी 'हफ़ीज़'
दिल पर कारी चोट लगे तो 'मीर' का लहजा आए है
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