शीशा टूटे ग़ुल मच जाए
दिल टूटे आवाज़ न आए
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Habib Jalib
Anwar Masood
Allama Iqbal
Gulzar
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(9506) Peoples Rate This
तमाम रात आँसुओं से ग़म उजालता रहा
ये भी तो सोचिए कभी तन्हाई में ज़रा
वो वक़्त का जहाज़ था करता लिहाज़ क्या
हाए वो नग़्मा जिस का मुग़न्नी
दार-ओ-रसन ने किस को चुना देखते चलें
इक अजनबी के हाथ में दे कर हमारा हाथ
क्या जाने क्या सबब है कि जी चाहता है आज
चाहे तन मन सब जल जाए
बज़्म-ए-तकल्लुफ़ात सजाने में रह गया
ऐ दिल ख़ुशी का ज़िक्र भी करने न दे मुझे
बे-सहारों का इंतिज़ाम करो
बाद-ए-सबा ये ज़ुल्म ख़ुदा-रा न कीजियो