बे-सहारों का इंतिज़ाम करो

बे-सहारों का इंतिज़ाम करो

यानी इक और क़त्ल-ए-आम करो

ख़ैर-ख़्वाहों का मशवरा ये है

ठोकरें खाओ और सलाम करो

दब के रहना हमें नहीं मंज़ूर

ज़ालिमो! जाओ अपना काम करो

ख़्वाहिशें जाने किस तरफ़ ले जाएँ

ख़्वाहिशों को न बे-लगाम करो

मेज़बानों में हो जहाँ अन-बन

ऐसी बस्ती में मत क़याम करो

ये हुनर भी बड़ा ज़रूरी है

कितना झुक कर किसे सलाम करो

साँप आपस में कह रहे हैं 'हफ़ीज़'

आस्तीनों का इंतिज़ाम करो

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