ओ आँख बदल के जाने वाले
कुछ ध्यान किसी की आजिज़ी का
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Gulzar
Jaun Eliya
Wasi Shah
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(786) Peoples Rate This
मोहब्बत क्या बढ़ी है वहम बाहम बढ़ते जाते हैं
हसीनों से फ़क़त साहिब-सलामत दूर की अच्छी
आप ही से न जब रहा मतलब
जाओ भी जिगर क्या है जो बेदाद करोगे
लिख दे आमिल कोई ऐसा ता'वीज़
शब-ए-विसाल लगाया जो उन को सीने से
अब तो नहीं आसरा किसी का
दिल इस लिए है दोस्त कि दिल में है जा-ए-दोस्त
मिरे ऐबों की इस्लाहें हुआ कीं बहस-ए-दुश्मन से
तमसील ओ इस्तिआरा ओ तश्बीह सब दुरुस्त
गया जो हाथ से वो वक़्त फिर नहीं आता
क़सम निबाह की खाई थी उम्र भर के लिए