कभी मस्जिद में जो वाइज़ का बयाँ सुनता हूँ
कभी मस्जिद में जो वाइज़ का बयाँ सुनता हूँ
याद आती है मुझे पीर-ए-ख़राबात की बात
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कभी मस्जिद में जो वाइज़ का बयाँ सुनता हूँ
याद आती है मुझे पीर-ए-ख़राबात की बात
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