इस को समझो न ख़त्त-ए-नफ़्स 'हफ़ीज़'
और ही कुछ है शाएरी से ग़रज़
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हमें याद रखना हमें याद करना
ओ आँख बदल के जाने वाले
वस्ल आसान है क्या मुश्किल है
शिकवा करते हैं ज़बाँ से न गिला करते हैं
पी लो दो घूँट कि साक़ी की रहे बात 'हफ़ीज़'
आप ही से न जब रहा मतलब
उन की यकताई का दावा मिट गया
हाए अब कौन लगी दिल की बुझाने आए
कहा ये किस ने कि वादे का ए'तिबार न था
गया जो हाथ से वो वक़्त फिर नहीं आता
करना जो मोहब्बत का इक़रार समझ लेना
वो हसीं बाम पर नहीं आता