बोसा-ए-रुख़्सार पर तकरार रहने दीजिए
लीजिए या दीजिए इंकार रहने दीजिए
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Wasi Shah
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1294) Peoples Rate This
जाओ भी जिगर क्या है जो बेदाद करोगे
साथ रहते इतनी मुद्दत हो गई
दुनिया में यूँ तो हर कोई अपनी सी कर गया
जब मिला कोई हसीं जान पर आफ़त आई
मोहब्बत क्या बढ़ी है वहम बाहम बढ़ते जाते हैं
अदा परियों की सूरत हूर की आँखें ग़ज़ालों की
वस्ल आसान है क्या मुश्किल है
नाज़नीं जिन के कुछ नियाज़ नहीं
काबा के ढाने वाले वो और लोग होंगे
अब तो नहीं आसरा किसी का
पहुँचे उस को सलाम मेरा
सुब्ह को आए हो निकले शाम के