उन को दिल दे के पशेमानी है

उन को दिल दे के पशेमानी है

ये भी इक तरह की नादानी है

वस्ल से आज नया है इंकार

तुम ने कब बात मिरी मानी है

आप देते हैं तसल्ली किस को

हम ने अब और ही कुछ ठानी है

हाल बिन पूछे कहे जाता हूँ

अपने मतलब की ये नादानी है

किस क़दर बार हूँ ग़म-ख़्वारों पर

क्या सुबुक मेरी गिराँ-जानी है

घर बुला कर वो मुझे लौटते हैं

ये नई तरह की मेहमानी है

हम से वहशत की न ले ओ मजनूँ

हम ने भी ख़ाक बहुत छानी है

ख़ाक उड़ती है जिधर जाता हूँ

क्या मुक़द्दर की परेशानी है

घर भी वीराना नज़र आता है

हाए क्या बे-सर-ओ-सामानी है

आई क्यूँ उन की शिकायत लब तक

हम को ख़ुद उस की पशेमानी है

कहीं दो दिन न रहा जम के 'हफ़ीज़'

एक आवारा है सैलानी है

(816) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Un Ko Dil De Ke Pashemani Hai In Hindi By Famous Poet Hafeez Jaunpuri. Un Ko Dil De Ke Pashemani Hai is written by Hafeez Jaunpuri. Complete Poem Un Ko Dil De Ke Pashemani Hai in Hindi by Hafeez Jaunpuri. Download free Un Ko Dil De Ke Pashemani Hai Poem for Youth in PDF. Un Ko Dil De Ke Pashemani Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Un Ko Dil De Ke Pashemani Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.