Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_c2017455362b89b8b2d7dcf886e2a44f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
सुब्ह को आए हो निकले शाम के - हफ़ीज़ जौनपुरी कविता - Darsaal

सुब्ह को आए हो निकले शाम के

सुब्ह को आए हो निकले शाम के

जाओ भी अब तुम मिरे किस काम के

हाथा-पाई से यही मतलब भी था

कोई मुँह चूमे कलाई थाम के

तुम अगर चाहो तो कुछ मुश्किल नहीं

ढंग सौ हैं नामा-ओ-पैग़ाम के

छेड़ वाइज़ हर घड़ी अच्छी नहीं

रिंद भी हैं एक अपने नाम के

क़हर ढाएगी असीरों की तड़प

और भी उलझेंगे हल्क़े दाम के

मोहतसिब चुन लेने दे इक इक मुझे

दिल के टुकड़े हैं ये टुकड़े जाम के

लाखों धड़के इब्तिदा-ए-इश्क़ में

ध्यान हैं आग़ाज़ में अंजाम के

मय का फ़तवा तो सही क़ाज़ी से लूँ

टोक कर रस्ते में दामन थाम के

दूर दौर-ए-मोहतसिब है आज-कल

अब कहाँ वो दौर-दौरे जाम के

नाम जब उस का ज़बाँ पर आ गया

रह गया नासेह कलेजा थाम के

दूर से नाले मिरे सुन कर कहा

आ गए दुश्मन मिरे आराम के

हाए वो अब प्यार की बातें कहाँ

अब तो लाले हैं मुझे दुश्नाम के

वो लगाएँ क़हक़हे सुन कर 'हफ़ीज़'

आप नाले कीजिए दिल थाम के

(835) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Subh Ko Aae Ho Nikle Sham Ke In Hindi By Famous Poet Hafeez Jaunpuri. Subh Ko Aae Ho Nikle Sham Ke is written by Hafeez Jaunpuri. Complete Poem Subh Ko Aae Ho Nikle Sham Ke in Hindi by Hafeez Jaunpuri. Download free Subh Ko Aae Ho Nikle Sham Ke Poem for Youth in PDF. Subh Ko Aae Ho Nikle Sham Ke is a Poem on Inspiration for young students. Share Subh Ko Aae Ho Nikle Sham Ke with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.