शब-ए-वस्ल है बहस हुज्जत अबस

शब-ए-वस्ल है बहस हुज्जत अबस

ये शिकवे अबस ये शिकायत अबस

हुआ उन को कब ए'तिमाद-ए-वफ़ा

जताते रहे हम मोहब्बत अबस

यहाँ अब तो कुछ और सामान है

वो आते हैं बहर-अयादत अबस

नसीबों से अपने है शिकवा हमें

करें क्यूँ किसी की शिकायत अबस

मिरा हाल सुन कर वो हैं बे-क़रार

किया किस ने ज़िक्र-ए-मोहब्बत अबस

फ़लक मर-मिटों से न रख ये ग़ुबार

मिटा बे-कसों की न तुर्बत अबस

सुनूँगा तिरी होश में आ तो लूँ

अभी से है नासेह नसीहत अबस

ये पर्दा हसीनों को लाज़िम न था

छुपाती हैं ये अच्छी सूरत अबस

वो पहले सुलूक आप के याद हैं

मिरे हाल पर अब इनायत अबस

तकल्लुफ़ में फिर वो कहाँ सादगी

ये आराइश-ए-हुस्न-ओ-ज़ीनत अबस

'हफ़ीज़' इस ज़मीं में कहो शेर कम

दिखाओ न ज़ोर-ए-तबीअत अबस

(930) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Shab-e-wasl Hai Bahs Hujjat Abas In Hindi By Famous Poet Hafeez Jaunpuri. Shab-e-wasl Hai Bahs Hujjat Abas is written by Hafeez Jaunpuri. Complete Poem Shab-e-wasl Hai Bahs Hujjat Abas in Hindi by Hafeez Jaunpuri. Download free Shab-e-wasl Hai Bahs Hujjat Abas Poem for Youth in PDF. Shab-e-wasl Hai Bahs Hujjat Abas is a Poem on Inspiration for young students. Share Shab-e-wasl Hai Bahs Hujjat Abas with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.