किसी को देख कर बे-ख़ुद दिल-ए-काम हो जाना

किसी को देख कर बे-ख़ुद दिल-ए-काम हो जाना

उसी को लोग कहते हैं ख़याल-ए-ख़ाम हो जाना

मोहब्बत से जो पेश आए कोई हो दोस्त या दुश्मन

हमें तो हर किसी का बंदा-ए-बे-दाम हो जाना

ख़ुदा जाने कि क्या होता मआल अपनी मोहब्बत का

बहुत अच्छा हुआ आग़ाज़ में अंजाम हो जाना

मिटाना हो अगर धब्बा रिया-कारी का ऐ ज़ाहिद

किसी की बज़्म में इक दिन शरीक-ए-जाम हो जाना

जहाँ देखो वहाँ कुछ ज़िक्र है अपनी मोहब्बत का

बुरा है आदमी के वास्ते बदनाम हो जाना

करेगा रख़्ना पैदा कोई दिन दरबाँ का हंगामा

क़यामत है तिरे दर पर हुजूम-ए-आम हो जाना

'हफ़ीज़' ऐसे मुसलमाँ का भी कोई दीन-ओ-मज़हब है

बुतों की दोस्ती में तारिक-ए-इस्लाम हो जाना

(838) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kisi Ko Dekh Kar Be-KHud Dil-e-kaam Ho Jaana In Hindi By Famous Poet Hafeez Jaunpuri. Kisi Ko Dekh Kar Be-KHud Dil-e-kaam Ho Jaana is written by Hafeez Jaunpuri. Complete Poem Kisi Ko Dekh Kar Be-KHud Dil-e-kaam Ho Jaana in Hindi by Hafeez Jaunpuri. Download free Kisi Ko Dekh Kar Be-KHud Dil-e-kaam Ho Jaana Poem for Youth in PDF. Kisi Ko Dekh Kar Be-KHud Dil-e-kaam Ho Jaana is a Poem on Inspiration for young students. Share Kisi Ko Dekh Kar Be-KHud Dil-e-kaam Ho Jaana with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.