Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_bee60368ded2bc96210198601a0331bb, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बुत-कदा नज़दीक काबा दूर था - हफ़ीज़ जौनपुरी कविता - Darsaal

बुत-कदा नज़दीक काबा दूर था

बुत-कदा नज़दीक काबा दूर था

मैं इधर ही रह गया मजबूर था

शाम ही से हम कहीं जाते थे रोज़

मुद्दतों अपना यही दस्तूर था

वो किया जिस में ख़ुशी थी आप की

वो हुआ जो आप को मंज़ूर था

कुछ अदब से रह गए नाले इधर

क्या बताएँ अर्श कितनी दूर था

जिस घड़ी था उस के जल्वे का ज़ुहूर

अर्श का हम-संग कोह-ए-तूर था

इक हसीं का आ गया जो तज़्किरा

देर तक महफ़िल में ज़िक्र-ए-हूर था

वस्ल की शब थी शब-ए-मेराज क्या

दूर तक फैला हुआ इक नूर था

हर कस-ओ-ना-कस से क्या मिलती निगाह

अपनी आँखों में बुत-ए-मग़रूर था

उम्र भर फ़िक्र-ए-सुख़न में था 'हफ़ीज़'

शाएरी का दिल में इक नासूर था

(1097) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

But-kada Nazdik Kaba Dur Tha In Hindi By Famous Poet Hafeez Jaunpuri. But-kada Nazdik Kaba Dur Tha is written by Hafeez Jaunpuri. Complete Poem But-kada Nazdik Kaba Dur Tha in Hindi by Hafeez Jaunpuri. Download free But-kada Nazdik Kaba Dur Tha Poem for Youth in PDF. But-kada Nazdik Kaba Dur Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share But-kada Nazdik Kaba Dur Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.