Sharab Poetry of Hafeez Jalandhari
नाम | हफ़ीज़ जालंधरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hafeez Jalandhari |
जन्म की तारीख | 1900 |
मौत की तिथि | 1982 |
जन्म स्थान | Lahore |
कैसे बंद हुआ मय-ख़ाना अब मालूम हुआ
इन तल्ख़ आँसुओं को न यूँ मुँह बना के पी
तौबा-नामा
पिए जा
मेरी शाएरी
कृष्ण कन्हैया
बसंती तराना
अभी तो मैं जवान हूँ
अब ख़ूब हँसेगा दीवाना
आख़िरी रात
ये क्या मक़ाम है वो नज़ारे कहाँ गए
वो अब्र जो मय-ख़्वार की तुर्बत पे न बरसे
निगाह-ए-आरज़ू-आमोज़ का चर्चा न हो जाए
मिल जाए मय तो सज्दा-ए-शुकराना चाहिए
मजाज़ ऐन-ए-हक़ीक़त है बा-सफ़ा के लिए
कभी ज़मीं पे कभी आसमाँ पे छाए जा
इन तल्ख़ आँसुओं को न यूँ मुँह बना के पी
दिल-ए-बे-मुद्दआ है और मैं हूँ
अर्ज़-ए-हुनर भी वज्ह-ए-शिकायात हो गई