Sad Poetry of Hafeez Jalandhari
नाम | हफ़ीज़ जालंधरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hafeez Jalandhari |
जन्म की तारीख | 1900 |
मौत की तिथि | 1982 |
जन्म स्थान | Lahore |
ज़िंदगी फ़िरदौस-ए-गुम-गश्ता को पा सकती नहीं
तन्हाई-ए-फ़िराक़ में उम्मीद बार-हा
फिर दे के ख़ुशी हम उसे नाशाद करें क्यूँ
मैं वो बस्ती हूँ कि याद-ए-रफ़्तगाँ के भेस में
क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है क्यूँ दर्द के रोने रोता है
कोई दवा न दे सके मशवरा-ए-दुआ दिया
ख़ामोश हो गईं जो उमंगें शबाब की
इलाही एक ग़म-ए-रोज़गार क्या कम था
हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ सके
हाथ रख रख के वो सीने पे किसी का कहना
हाँ मैं तो लिए फिरता हूँ इक सजदा-ए-बेताब
हाँ कैफ़-ए-बे-ख़ुदी की वो साअत भी याद है
हाए कोई दवा करो हाए कोई दुआ करो
दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब
दिल को ख़ुदा की याद तले भी दबा चुका
भुलाई नहीं जा सकेंगी ये बातें
बे-तअल्लुक़ ज़िंदगी अच्छी नहीं
अहल-ए-ज़बाँ तो हैं बहुत कोई नहीं है अहल-ए-दिल
आने वाले किसी तूफ़ान का रोना रो कर
शाएर
रक़्क़ासा
पिए जा
मेरी शाएरी
कृष्ण कन्हैया
फ़ुर्सत की तमन्ना में
एक लड़की शादाँ
बसंती तराना
अभी तो मैं जवान हूँ
अब ख़ूब हँसेगा दीवाना
आख़िरी रात