ज़ब्त-ए-गिर्या कभी करता हूँ तो फ़रमाते हैं
ज़ब्त-ए-गिर्या कभी करता हूँ तो फ़रमाते हैं
आज क्या बात है बरसात नहीं होती है
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आज क्या बात है बरसात नहीं होती है
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