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मेरी शाएरी - हफ़ीज़ जालंधरी कविता - Darsaal

मेरी शाएरी

मिरी शाएरी है नज़ारों की दुनिया

ये नग़्मा-सरा जोइबारों की दुनिया

ये हंगामा-ज़ार आबशारों की दुनिया

फ़लक-आश्ना कोहसारों की दुनिया

ये फूलों की बस्ती बहारों की दुनिया

यही है मिरे शाह-कारों की दुनिया

मिरी शाएरी है नज़ारों की दुनिया

मिरी शाएरी चाँद तारों की दुनिया

ये रंगीं घरौंदा तिलिस्म-ए-ज़माना

खिलौनों का है इक बड़ा कारख़ाना

हवा बाँधना और ग़ुबारे बनाना

ग़ुबारे बना कर फ़ज़ा में उड़ाना

मिरे शेर का शोबदा है पुराना

मिरी शाएरी चाँद तारों की दुनिया

मिरी शाएरी बख़्त-यारों की दुनिया

फ़लक शामियाना है पर्बत कनातें

इसी ओट में दीदा-ओ-दिल की घातें

हुजूम-ए-तमन्ना ख़ुशी की बरातें

जवानी के दिन कामरानी की रातें

मिरे शेर की ये भी हैं वारदातें

मिरी शाएरी बख़्त-यारों की दुनिया

मिरी शाएरी ख़ार-ज़ारों की दुनिया

तही-दस्ती ओ पस्ती ओ ख़स्ता-हाली

बगूलों से मामूर फूलों से ख़ाली

वो बेशा कि है मज़रा-ए-ख़ुश्क-साली

जहाँ अब्र भूला है दरिया-नवाली

न भूली उसे भी मिरी फ़िक्र-ए-आली

मिरी शाएरी ख़ारज़ारों की दुनिया

मिरी शाएरी शहसवारों की दुनिया

बहादुर जरी सूरमा और जियाले

क़ज़ा जिन की ढालें क़दर जिन के भाले

तहव्वुर के घोड़ों की बागें सँभाले

चले हैं सू-ए-रज़्म-गह अज़्म वाले

मिरे शेर हैं ग़ाज़ियों के रिसाले

मिरी शाएरी शहसवारों की दुनिया

मिरी शाएरी दिल-फ़िगारों की दुनिया

ये फ़रियाद-ए-ख़ामोश नीची निगाहें

ये अरमाँ कि मसदूद हैं जिन की राहें

फ़रेब-ए-वफ़ा से कहाँ तक निबाहें

मिरे दीदा-ओ-दिल हैं इन की पनाहें

मिरे शेर आँसू मिरे शेर आहें

मिरी शाएरी दिल-फ़िगारों की दुनिया

मिरी शाएरी बे-क़रारों की दुनिया

वो ज़र्रा कि राह-ए-सुकूँ में मुख़िल है

वो क़तरा कि सद-आतिश-ए-मुश्तइल है

वो दीदा कि बेदारी-ए-मुस्तक़िल है

वो दिल जिस से दिल गर्मी-ए-आब-ओ-गिल है

मिरे शेर में भी वही एक दिल है

मिरी शाएरी बे-क़रारों की दुनिया

मिरी शाएरी ख़ाकसारों की दुनिया

बसेरा ख़स-ओ-ख़ार-ओ-ख़ाशाक पर है

मगर हाथ हर ख़ोशा-ए-ताक पर है

अगरचे सर-ए-बे-ख़ुदी ख़ाक पर है

दिमाग़-ए-ख़ुदी औज-ए-अफ़्लाक पर है

मिरे शेर की आँख इदराक पर है

मिरी शाएरी ख़ाकसारों की दुनिया

मिरी शाएरी बादा-ख़्वारों की दुनिया

चले जाम-ए-जम भी जमे बज़्म-ए-मय भी

मगर साक़िया देख इक और शय भी

ये फ़रियाद मेरी कि है जिस में लय भी

ये नाला मिरा जो है पाबंद-ए-नय भी

मिरा शेर शीशा भी नश्शा भी मय भी

मिरी शाएरी बादा-ख़्वारों की दुनिया

मिरी शाएरी दोस्त-दारों की दुनिया

ये दुनिया जहाँ से अलग इक जहाँ है

ये दिल-नवाज़ी का सिक्का रवाँ है

यहाँ आसमाँ है मगर मेहरबाँ है

न जाने अदावत की दुनिया कहाँ है

मिरा शेर इख़्लास का तर्जुमाँ है

मरी शाएरी दोस्त-दारों की दुनिया

मिरी शाएरी ग़मगुसारों की दुनिया

फ़लक महर-पर्वर ज़मीं मह-जबीं है

न वो सर्द-मेहर और न ये गर्म-कीं है

फ़लक भी हसीं है ज़मीं भी हसीं है

वो नूर-आफ़रीं ये ज़ुहूर-आफ़रीं है

मिरे आइने में कुदूरत नहीं है

मिरी शाएरी ग़मगुसारों की दुनिया

मिरी शाएरी मेरे प्यारों की दुनिया

वो प्यारे कि सू-ए-अदम जा चुके हैं

वो कलियाँ वो ग़ुंचे जो मुरझा चुके हैं

तराने जो आराम फ़रमा चुके हैं

ख़ज़ाने जिन्हें लोग दफ़ना चुके हैं

मिरे शेर में ज़िंदगी पा चुके हैं

मिरी शाएरी मेरे प्यारों की दुनिया

मिरी शाएरी इंतिज़ारों की दुनिया

कभी मैं भी हो जाऊँ आज़ाद शायद

असीरी की घट जाए मीआद शायद

सुनी जाए इक रोज़ फ़रियाद शायद

वो भूले से कर ले मुझे याद शायद

वहाँ काम आए ये रूदाद शायद

मिरी शाएरी इंतिज़ारों की दुनिया

मिरी शाएरी है इशारों की दुनिया

फ़लक पर हैं गर्दिश में चाँद और तारे

ज़मीं पर बहार-ओ-ख़िज़ाँ के नज़ारे

बराबर चले जा रहे हैं बिचारे

कि ज़ौक़-ए-नज़र दे रहा है सहारे

मगर कौन समझे ये नाज़ुक इशारे

मिरी शाएरी है इशारों की दुनिया

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