Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_ef3b63080f6494872d9b3e3b397a1369, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
उन को जिगर की जुस्तुजू उन की नज़र को क्या करूँ - हफ़ीज़ जालंधरी कविता - Darsaal

उन को जिगर की जुस्तुजू उन की नज़र को क्या करूँ

उन को जिगर की जुस्तुजू उन की नज़र को क्या करूँ

मुझ को नज़र की आरज़ू अपने जिगर को क्या करूँ

रात ही रात में तमाम तय हुए उम्र के मक़ाम

हो गई ज़िंदगी की शाम अब मैं सहर को क्या करूँ

वहशत-ए-दिल फ़ुज़ूँ तो है हाल मिरा ज़ुबूँ तो है

इश्क़ नहीं जुनूँ तो है उस के असर को क्या करूँ

फ़र्श से मुतमइन नहीं पस्त है ना-पसंद है

अर्श बहुत बुलंद है ज़ौक़-ए-नज़र को क्या करूँ

हाए कोई दवा करो हाए कोई दुआ करो

हाए जिगर में दर्द है हाए जिगर को क्या करूँ

अहल-ए-नज़र कोई नहीं इस लिए ख़ुद-पसंद हूँ

आप ही देखता हूँ मैं अपने हुनर को क्या करूँ

तर्क-ए-तअल्लुक़ात पर गिर गई बर्क़-ए-इल्तिफ़ात

राहगुज़र में मिल गए राहगुज़र को क्या करूँ

(1088) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Un Ko Jigar Ki Justuju Unki Nazar Ko Kya Karun In Hindi By Famous Poet Hafeez Jalandhari. Un Ko Jigar Ki Justuju Unki Nazar Ko Kya Karun is written by Hafeez Jalandhari. Complete Poem Un Ko Jigar Ki Justuju Unki Nazar Ko Kya Karun in Hindi by Hafeez Jalandhari. Download free Un Ko Jigar Ki Justuju Unki Nazar Ko Kya Karun Poem for Youth in PDF. Un Ko Jigar Ki Justuju Unki Nazar Ko Kya Karun is a Poem on Inspiration for young students. Share Un Ko Jigar Ki Justuju Unki Nazar Ko Kya Karun with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.