Ghazals of Hafeez Jalandhari
नाम | हफ़ीज़ जालंधरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hafeez Jalandhari |
जन्म की तारीख | 1900 |
मौत की तिथि | 1982 |
जन्म स्थान | Lahore |
ज़िंदगी का लुत्फ़ भी आ जाएगा
ये मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं होती है
ये क्या मक़ाम है वो नज़ारे कहाँ गए
ये और दौर है अब और कुछ न फ़रमाए
वो सरख़ुशी दे कि ज़िंदगी को शबाब से बहर-याब कर दे
वो क़ाफ़िला आराम-तलब हो भी तो क्या हो
वो अब्र जो मय-ख़्वार की तुर्बत पे न बरसे
वफ़ादारियाँ सख़्त नादानियाँ हैं
उठो अब देर होती है वहाँ चल कर सँवर जाना
उस शोख़ ने निगाह न की हम भी चुप रहे
उन को जिगर की जुस्तुजू उन की नज़र को क्या करूँ
उभरे जो ख़ाक से वो तह-ए-ख़ाक हो गए
तीर चिल्ले पे न आना कि ख़ता हो जाना
तिरे दिल में भी हैं कुदूरतें तिरे लब पे भी हैं शिकायतें
शैख़ का ख़ौफ़ हमें हश्र का धड़का हम को
रंग बदला यार ने वो प्यार की बातें गईं
फिर लुत्फ़-ए-ख़लिश देने लगी याद किसी की
ओ दिल तोड़ के जाने वाले दिल की बात बताता जा
निगाह-ए-आरज़ू-आमोज़ का चर्चा न हो जाए
न कर दिल-जूई ऐ सय्याद मेरी
मुझे शाद रखना कि नाशाद रखना
मुद्दतों तक जो पढ़ाया किया उस्ताद मुझे
मिटने वाली हसरतें ईजाद कर लेता हूँ मैं
मिल जाए मय तो सज्दा-ए-शुकराना चाहिए
मज़हका आओ उड़ाएँ इश्क़-ए-बे-बुनियाद का
मौत के चेहरे पे है क्यूँ मुर्दनी छाई हुई
मस्तों पे उँगलियाँ न उठाओ बहार में
मजाज़ ऐन-ए-हक़ीक़त है बा-सफ़ा के लिए
क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है क्यूँ दर्द के रोने रोता है
कोई दवा न दे सके मशवरा-ए-दुआ दिया