हफ़ीज़ जालंधरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हफ़ीज़ जालंधरी (page 3)
नाम | हफ़ीज़ जालंधरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hafeez Jalandhari |
जन्म की तारीख | 1900 |
मौत की तिथि | 1982 |
जन्म स्थान | Lahore |
किस मुँह से कह रहे हो हमें कुछ ग़रज़ नहीं
ख़ुदा को न तकलीफ़ दे डूबने में
ख़ामोश हो गईं जो उमंगें शबाब की
कैसे बंद हुआ मय-ख़ाना अब मालूम हुआ
जिस ने इस दौर के इंसान किए हैं पैदा
जैसे वीराने से टकरा के पलटती है सदा
इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ
इन तल्ख़ आँसुओं को न यूँ मुँह बना के पी
इलाही एक ग़म-ए-रोज़गार क्या कम था
हम से ये बार-ए-लुत्फ़ उठाया न जाएगा
हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ सके
हाथ रख रख के वो सीने पे किसी का कहना
हाँ मैं तो लिए फिरता हूँ इक सजदा-ए-बेताब
हाँ कैफ़-ए-बे-ख़ुदी की वो साअत भी याद है
हमेशा के लिए ख़ामोश हो कर
है मुद्दआ-ए-इश्क़ ही दुनिया-ए-मुद्दआ
'हफ़ीज़' अपनी बोली मोहब्बत की बोली
'हफ़ीज़' अहल-ए-ज़बाँ कब मानते थे
हाए कोई दवा करो हाए कोई दुआ करो
दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब
दिल सभी कुछ ज़बान पर लाया
दिल ने आँखों तक आने में इतना वक़्त लिया
दिल लगाओ तो लगाओ दिल से दिल
दिल को ख़ुदा की याद तले भी दबा चुका
देखा न कारोबार-ए-मोहब्बत कभी 'हफ़ीज़'
देखा जो खा के तीर कमीं-गाह की तरफ़
चराग़-ए-ख़ाना-ए-दर्वेश हों मैं
बुत-कदे से चले हो काबे को
भुलाई नहीं जा सकेंगी ये बातें
बे-तअल्लुक़ ज़िंदगी अच्छी नहीं