हफ़ीज़ जालंधरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हफ़ीज़ जालंधरी
नाम | हफ़ीज़ जालंधरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hafeez Jalandhari |
जन्म की तारीख | 1900 |
मौत की तिथि | 1982 |
जन्म स्थान | Lahore |
सोने वालो जागो
कव्वा
ज़िंदगी और मिले और मिले और मिले
ज़िक्र उस्ताद-ए-फ़न का जाने दे
या ख़ादिम-ए-दीं होना या मज़हर-ए-दीं होना
सुकून-ए-ज़िंदगी तर्क-ए-अमल का नाम है शायद
सामने दुख़्तर-ए-बरहमन है
पार उतरा हूँ किस क़रीने से
ओ हसरत-ए-विसाल न देख इस तरह न देख
मेरे आक़ा तुझे बंदे का ख़याल आ ही गया
मदफ़न-ए-ग़रीबाँ है आओ फ़ातिहा पढ़ लें
जो मिरे दिल में है कहने दीजिए
जो भी है सूरत-ए-हालात कहो चुप न रहो
जिए जाता हूँ इस शर्मिंदगी में
हुस्न की आँख अगर हया न करे
हयात-ए-जावेदाँ हम क्या करेंगे
हैरान हो के मुँह मिरा तकते हैं बार बार
दिन की सूरत नज़र आते ही मिरी रात हुई
बुत कहते हैं मर जा मर जा
बात भी जिस से अब नहीं मुमकिन
अजनबियों के शहर में गुम हूँ मगर मैं कौन हूँ
आया था बज़्म-ए-शेर में अर्ज़-ए-हुनर को मैं
ज़िंदगी फ़िरदौस-ए-गुम-गश्ता को पा सकती नहीं
ज़ब्त-ए-गिर्या कभी करता हूँ तो फ़रमाते हैं
ये भी इक धोका था नैरंग-ए-तिलिस्म-ए-अक़्ल का
यरान-ए-बे-बिसात कि हर बाज़ी-ए-हयात
वो सरख़ुशी दे कि ज़िंदगी को शबाब से बहर-याब कर दे
वफ़ाओं के बदले जफ़ा कर रहे हैं
वफ़ा का लाज़मी था ये नतीजा
वफ़ा जिस से की बेवफ़ा हो गया