Sad Poetry of Hafeez Hoshiarpuri
नाम | हफ़ीज़ होशियारपुरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hafeez Hoshiarpuri |
जन्म की तारीख | 1912 |
मौत की तिथि | 1973 |
ज़माने भर के ग़म या इक तिरा ग़म
तमाम उम्र तिरा इंतिज़ार हम ने किया
तमाम उम्र किया हम ने इंतिज़ार-ए-बहार
कहीं ये तर्क-ए-मोहब्बत की इब्तिदा तो नहीं
ग़म-ए-ज़िंदगानी के सब सिलसिले
ग़म-ए-ज़माना तिरी ज़ुल्मतें ही क्या कम थीं
दुनिया में हैं काम बहुत
अगर तू इत्तिफ़ाक़न मिल भी जाए
आज की रात
तमाम उम्र तिरा इंतिज़ार हम ने किया
राज़-ए-सर-बस्ता मोहब्बत के ज़बाँ तक पहुँचे
फिर से आराइश-ए-हस्ती के जो सामाँ होंगे
नर्गिस पे तो इल्ज़ाम लगा बे-बसरी का
न पूछ क्यूँ मिरी आँखों में आ गए आँसू
मोहब्बत करने वाले कम न होंगे
मन-ओ-तू का हिजाब उठने न दे ऐ जान-ए-यकताई
कुछ इस तरह से नज़र से गुज़र गया कोई
कुछ इस तरह से नज़र से गुज़र गया कोई
कहाँ कहाँ न तसव्वुर ने दाम फैलाए
ग़म-ए-आफ़ाक़ है रुस्वा ग़म-ए-दिल-बर बन के
इक उम्र से हम तुम आश्ना हैं
बे-चारगी-ए-हसरत-ए-दीदार देखना
ऐसी भी क्या जल्दी प्यारे जाने मिलें फिर या न मिलें हम
अब कोई आरज़ू नहीं शौक़-ए-पयाम के सिवा
आज उन्हें कुछ इस तरह जी खोल कर देखा किए