गुमशुदगी ही अस्ल में यारो राह-नुमाई करती है
राह दिखाने वाले पहले बरसों राह भटकते हैं
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Parveen Shakir
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1479) Peoples Rate This
वो बात 'हफ़ीज़' अब नहीं मिलती किसी शय में
इक शगुफ़्ता गुलाब जैसा था
फूल अफ़्सुर्दा बुलबुलें ख़ामोश
किस मुँह से करें उन के तग़ाफ़ुल की शिकायत
जो ख़त है शिकस्ता है जो अक्स है टूटा है
हमारे अहद का मंज़र अजीब मंज़र है
कभी ख़िरद कभी दीवानगी ने लूट लिया
भागते सायों के पीछे ता-ब-कै दौड़ा करें
रात का नाम सवेरा ही सही
लब-ए-फ़ुरात वही तिश्नगी का मंज़र है
हर हक़ीक़त है एक हुस्न 'हफ़ीज़'
आसान नहीं मरहला-ए-तर्क-ए-वफ़ा भी