आसान नहीं मरहला-ए-तर्क-ए-वफ़ा भी
मुद्दत हुई हम इस को भुलाने में लगे हैं
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Gulzar
Wasi Shah
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Javed Akhtar
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मुद्दत की तिश्नगी का इनआ'म चाहता हूँ
कभी ख़िरद कभी दीवानगी ने लूट लिया
इक हुस्न-ए-तसव्वुर है जो ज़ीस्त का साथी है
फूल अफ़्सुर्दा बुलबुलें ख़ामोश
हदीस-ए-तल्ख़ी-ए-अय्याम से तकलीफ़ होती है
एक सीता की रिफ़ाक़त है तो सब कुछ पास है
मैं ने आबाद किए कितने ही वीराने 'हफ़ीज़'
लहू की मय बनाई दिल का पैमाना बना डाला
ये और बात कि लहजा उदास रखते हैं
भागते सायों के पीछे ता-ब-कै दौड़ा करें
जो पर्दों में ख़ुद को छुपाए हुए हैं
पैग़ाम ईद