मुद्दत की तिश्नगी का इनआ'म चाहता हूँ

मुद्दत की तिश्नगी का इनआ'म चाहता हूँ

मस्ती भरी नज़र से इक जाम चाहता हूँ

ऐ गर्दिश-ए-ज़माना ज़हमत तो होगी तुझ को

कुछ देर के लिए मैं आराम चाहता हूँ

कल हम से कह रहा था शोहरत-तलब ज़माना

तुम काम चाहते हो मैं नाम चाहता हूँ

सुब्ह-ए-हयात ले ले ऐ ज़ुल्फ़-ए-यार लेकिन

मैं तुझ से इस के बदले इक शाम चाहता हूँ

बाद-ए-सबा से कह दो मेरी तरफ़ भी आए

मैं भी 'हफ़ीज़' उन का पैग़ाम चाहता हूँ

(897) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Muddat Ki Tishnagi Ka Inam Chahta Hun In Hindi By Famous Poet Hafeez Banarasi. Muddat Ki Tishnagi Ka Inam Chahta Hun is written by Hafeez Banarasi. Complete Poem Muddat Ki Tishnagi Ka Inam Chahta Hun in Hindi by Hafeez Banarasi. Download free Muddat Ki Tishnagi Ka Inam Chahta Hun Poem for Youth in PDF. Muddat Ki Tishnagi Ka Inam Chahta Hun is a Poem on Inspiration for young students. Share Muddat Ki Tishnagi Ka Inam Chahta Hun with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.