Ghazals of Hafeez Banarasi
नाम | हफ़ीज़ बनारसी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hafeez Banarasi |
जन्म की तारीख | 1933 |
मौत की तिथि | 2008 |
जन्म स्थान | Banaras |
ये कैसी हवा-ए-ग़म-ओ-आज़ार चली है
ये हादसा भी शहर-ए-निगाराँ में हो गया
ये और बात कि लहजा उदास रखते हैं
वो तो बैठे रहे सर झुकाए हुए
तेज़ जब ख़ंजर-ए-बेदाद किया जाएगा
रात का नाम सवेरा ही सही
क़दम शबाब में अक्सर बहकने लगता है
मुद्दत की तिश्नगी का इनआ'म चाहता हूँ
लहू की मय बनाई दिल का पैमाना बना डाला
लब-ए-फ़ुरात वही तिश्नगी का मंज़र है
क्या जुर्म हमारा है बता क्यूँ नहीं देते
कुछ सोच के परवाना महफ़िल में जला होगा
कोई बतलाए कि ये तुर्फ़ा तमाशा क्यूँ है
ख़फ़ा है गर ये ख़ुदाई तो फ़िक्र ही क्या है
जो पर्दों में ख़ुद को छुपाए हुए हैं
जो पर्दों में ख़ुद को छुपाए हुए हैं
जो नज़र से बयान होती है
जो ख़त है शिकस्ता है जो अक्स है टूटा है
जब तसव्वुर में कोई माह-जबीं होता है
जब भी तिरी यादों की चलने लगी पुर्वाई
इश्क़ में हर नफ़स इबादत है
हमारे अहद का मंज़र अजीब मंज़र है
हदीस-ए-तल्ख़ी-ए-अय्याम से तकलीफ़ होती है
गुमराह कह के पहले जो मुझ से ख़फ़ा हुए
इक शगुफ़्ता गुलाब जैसा था
दिल की आवाज़ में आवाज़ मिलाते रहिए
दिल की आवाज़ में आवाज़ मिलाते रहिए
भागते सायों के पीछे ता-ब-कै दौड़ा करें
आ जाओ कि मिल कर हम जीने की बिना डालें