हफ़ीज़ बनारसी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हफ़ीज़ बनारसी
नाम | हफ़ीज़ बनारसी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hafeez Banarasi |
जन्म की तारीख | 1933 |
मौत की तिथि | 2008 |
जन्म स्थान | Banaras |
ये किस मक़ाम पे लाई है ज़िंदगी हम को
वो बात 'हफ़ीज़' अब नहीं मिलती किसी शय में
वफ़ा नज़र नहीं आती कहीं ज़माने में
उस से बढ़ कर किया मिलेगा और इनआम-ए-जुनूँ
उस दुश्मन-ए-वफ़ा को दुआ दे रहा हूँ मैं
तदबीर के दस्त-ए-रंगीं से तक़दीर दरख़्शाँ होती है
समझ के आग लगाना हमारे घर में तुम
सभी के दीप सुंदर हैं हमारे क्या तुम्हारे क्या
फूल अफ़्सुर्दा बुलबुलें ख़ामोश
मिले फ़ुर्सत तो सुन लेना किसी दिन
मैं ने आबाद किए कितने ही वीराने 'हफ़ीज़'
कुछ इस के सँवर जाने की तदबीर नहीं है
किसी का घर जले अपना ही घर लगे है मुझे
किस मुँह से करें उन के तग़ाफ़ुल की शिकायत
कभी ख़िरद कभी दीवानगी ने लूट लिया
जो पर्दों में ख़ुद को छुपाए हुए हैं
इश्क़ में मारका-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र क्या कहिए
हिसार-ए-ज़ात के दीवार-ओ-दर में क़ैद रहे
हर हक़ीक़त है एक हुस्न 'हफ़ीज़'
गुमशुदगी ही अस्ल में यारो राह-नुमाई करती है
एक सीता की रिफ़ाक़त है तो सब कुछ पास है
इक हुस्न-ए-तसव्वुर है जो ज़ीस्त का साथी है
दुश्मनों की जफ़ा का ख़ौफ़ नहीं
चले चलिए कि चलना ही दलील-ए-कामरानी है
आसान नहीं मरहला-ए-तर्क-ए-वफ़ा भी
पैग़ाम ईद
ये कैसी हवा-ए-ग़म-ओ-आज़ार चली है
ये हादसा भी शहर-ए-निगाराँ में हो गया
ये और बात कि लहजा उदास रखते हैं
वो तो बैठे रहे सर झुकाए हुए