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Hadi Machlishahri Poetry In Hindi - Best Hadi Machlishahri Shayari, Sad Ghazals, Love Nazams, Romantic Poetry In Hindi - Darsaal

हादी मछलीशहरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हादी मछलीशहरी

हादी मछलीशहरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हादी मछलीशहरी
नामहादी मछलीशहरी
अंग्रेज़ी नामHadi Machlishahri
जन्म की तारीख1890
मौत की तिथि1961

वो पूछते हैं दिल-ए-मुब्तला का हाल और हम

उठने को तो उठा हूँ महफ़िल से तिरी लेकिन

उस ने इस अंदाज़ से देखा मुझे

तुम अज़ीज़ और तुम्हारा ग़म भी अज़ीज़

तू है बहार तो दामन मिरा हो क्यूँ ख़ाली

मिरा वजूद हक़ीक़त मिरा अदम धोका

लुत्फ़-ए-जफ़ा इसी में है याद-ए-जफ़ा न आए फिर

हर मुसीबत थी मुझे ताज़ा पयाम-ए-आफ़ियत

ग़ज़ब है ये एहसास वारस्तगी का

ग़म-ए-दिल अब किसी के बस का नहीं

दिल-ए-सरशार मिरा चश्म-ए-सियह-मस्त तिरी

बेदर्द मुझ से शरह-ए-ग़म-ए-ज़िंदगी न पूछ

अश्क-ए-ग़म उक़्दा-कुशा-ए-ख़लिश-ए-जाँ निकला

अब वो पीरी में कहाँ अहद-ए-जवानी की उमंग

अब क्यूँ गिला रहेगा मुझे हिज्र-ए-यार का

ज़बाँ पे हर्फ़-ए-शिकायत अरे मआज़-अल्लाह

वो निगाहें जो दिल-ए-महज़ूँ में पिन्हाँ हो गईं

उठने को तो उट्ठा हूँ महफ़िल से तिरी लेकिन

उस बेवफ़ा की बज़्म से चश्म-ए-ख़याल में

तुम्हें भी मालूम हो हक़ीक़त कुछ अपनी रंगीं-अदाइयों की

तुम अज़ीज़ और तुम्हारा ग़म भी अज़ीज़

तू न हो हम-नफ़स अगर जीने का लुत्फ़ ही नहीं

निज़ाम-ए-तबीअत से घबरा गया दिल

मैं क्या हूँ कौन हूँ ये भी ख़बर नहीं मुझ को

महव-ए-कमाल-ए-आरज़ू मुझ को बना के भूल जा

खोया हुआ सा रहता हूँ अक्सर मैं इश्क़ में

हज़ार ख़ाक के ज़र्रों में मिल गया हूँ मैं

देख कर शम्अ के आग़ोश में परवाने को

दर्द सा उठ के न रह जाए कहीं दिल के क़रीब

अश्क-ए-ग़म उक़्दा-कुशा-ए-ख़लिश-ए-जाँ निकला

Hadi Machlishahri Poetry in Hindi - Read Best Poetry, Ghazals & Nazams by Hadi Machlishahri including Sad Shayari, Hope Poetry, Inspirational Poetry, Sher SMS & Sufi Shayari in Hindi written by great Sufi Poet Hadi Machlishahri. Free Download all kind of Hadi Machlishahri Poetry in PDF. Best of Hadi Machlishahri Poetry in Hindi. Hadi Machlishahri Ghazals and Inspirational Nazams for Students.