Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7d007b04d1e976cc4a0cca5bb826d425, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मैं नहीं जा पाऊँगा यारो सू-ए-गुलज़ार अभी - हबीब तनवीर कविता - Darsaal

मैं नहीं जा पाऊँगा यारो सू-ए-गुलज़ार अभी

मैं नहीं जा पाऊँगा यारो सू-ए-गुलज़ार अभी

देखनी है आब-जू-ए-ज़ीस्त की रफ़्तार अभी

कर चुका हूँ पार ये दरिया न जाने कितनी बार

पार ये दरिया करूँगा और कितनी बार अभी

घूम फिर कर दश्त-ओ-सहरा फिर वहीं ले आए पाँव

दिल नहीं है शायद इस नज़्ज़ारे से बे-ज़ार अभी

काविश-ए-पैहम अभी ये सिलसिला रुकने न पाए

जान अभी आँखों में है और पाँव में रफ़्तार अभी

ऐ मिरे अरमान-ए-दिल बस इक ज़रा कुछ और सब्र

रात अभी कटने को है मिलने को भी है यार अभी

जज़्बा-ए-दिल देखना भटका न देना राह से

मुंतज़िर होगा मिरा भी ख़ुद मिरा दिल-दार अभी

होंगी तो इस रह-गुज़र में भी कमीं-गाहें हज़ार

फिर भी ये बार-ए-सफ़र क्यूँ हो मुझे दुश्वार अभी

(1090) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Main Nahin Ja Paunga Yaro Su-e-gulzar Abhi In Hindi By Famous Poet Habib Tanvir. Main Nahin Ja Paunga Yaro Su-e-gulzar Abhi is written by Habib Tanvir. Complete Poem Main Nahin Ja Paunga Yaro Su-e-gulzar Abhi in Hindi by Habib Tanvir. Download free Main Nahin Ja Paunga Yaro Su-e-gulzar Abhi Poem for Youth in PDF. Main Nahin Ja Paunga Yaro Su-e-gulzar Abhi is a Poem on Inspiration for young students. Share Main Nahin Ja Paunga Yaro Su-e-gulzar Abhi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.