जहाँ आसाँ था दिन को रात करना
वो गलियाँ हो गई हैं एक सपना
अब उन की याद है पलकों पे रौशन
अब उन को कह नहीं सकते हम अपना
Anwar Masood
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Gulzar
Allama Iqbal
Rahat Indori
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(3045) Peoples Rate This
ये और बात तेरी गली में न आएँ हम
लोग गीतों का नगर याद आया
दियार-ए-सब्ज़ा ओ गुल से निकल कर
नीलो
भुला भी दे उसे जो बात हो गई प्यारे
भए कबीर उदास
तुझे पाया कि तुझ को खो दिया है
एक याद
वही हालात हैं फ़क़ीरों के
इक तिरी याद से इक तेरे तसव्वुर से हमें
बातें तो कुछ ऐसी हैं कि ख़ुद से भी न की जाएँ
रोए भगत कबीर