डूब जाएगा आज भी ख़ुर्शीद
आज भी तुम नज़र न आओगे
बीत जाएगी इस तरह हर शाम
ज़िंदगी भर हमें रुलाओगे
Gulzar
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Habib Jalib
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Anwar Masood
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घर के ज़िंदाँ से उसे फ़ुर्सत मिले तो आए भी
इक उम्र सुनाएँ तो हिकायत न हो पूरी
ये और बात तेरी गली में न आएँ हम
जागने वालो ता-ब-सहर ख़ामोश रहो
हम आवारा गाँव गाँव बस्ती बस्ती फिरने वाले
औरत
सब्ज़ा-ज़ारों में गुज़र था अपना
जिन की यादों से रौशन हैं मेरी आँखें
तू रंग है ग़ुबार हैं तेरी गली के लोग
दुनिया तो चाहती है यूँही फ़ासले रहें
तुझे पाया कि तुझ को खो दिया है
रंग ओ बू-ए-गुलाब कह लूँगा