अश्क आँखों में अब हैं आए से
बात छुपती नहीं छुपाए से
अपनी बातें कहें तो किस से कहें
सब यहाँ लोग हैं पराए से
Jaun Eliya
Wasi Shah
Anwar Masood
Gulzar
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Allama Iqbal
Love Poetry
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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क्या क्या लोग गुज़र जाते हैं रंग-बिरंगी कारों में
दिल वालो क्यूँ दिल सी दौलत यूँ बे-कार लुटाते हो
दस्तूर
'लता'
दयार-ए-'दाग़'-ओ-'बेख़ुद' शहर-ए-देहली छोड़ कर तुझ को
मुद्दतें हो गईं ख़ता करते
तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं था
ग़म के साँचे में ढल सको तो चलो
दिल की बात लबों पर ला कर अब तक हम दुख सहते हैं
बड़े बने थे 'जालिब' साहब पिटे सड़क के बीच
कभी तो मेहरबाँ हो कर बुला लें
छोड़ इस बात को ऐ दोस्त कि तुझ से पहले