तू आग में ऐ औरत ज़िंदा भी जली बरसों
साँचे में हर इक ग़म के चुप-चाप ढली बरसों
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Gulzar
Anwar Masood
Parveen Shakir
Wasi Shah
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
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न तेरी याद न दुनिया का ग़म न अपना ख़याल
लोग गीतों का नगर याद आया
अश्क आँखों में अब हैं आए से
बड़े बने थे 'जालिब' साहब पिटे सड़क के बीच
यौम-ए-मई
ये और बात तेरी गली में न आएँ हम
मीरा-जी
तेरी आँखों का अजब तुर्फ़ा समाँ देखा है
दिल पर जो ज़ख़्म हैं वो दिखाएँ किसी को क्या
मुम्ताज़
कितना सुकूत है रसन-ओ-दार की तरफ़
आग है फैली हुई काली घटाओं की जगह