तेज़ चलो

ये कह रहा है दिल-ए-बे-क़रार तेज़ चलो

बहुत उदास हैं ज़ंजीर ओ दार तेज़ चलो

जो थक गए हैं उन्हें गर्द-ए-राह रहने दो

किसी का अब न करो इंतिज़ार तेज़ चलो

ख़िज़ाँ की शाम कहाँ तक रहेगी साया-फ़गन

बहुत क़रीब है सुब्ह-ए-बहार तेज़ चलो

तुम्ही से ख़ौफ़-ज़दा हैं ज़मीन ओ ज़र वाले

तुम्ही हो चश्म-ए-सितम-गर पे बार तेज़ चलो

करो ख़ुलूस ओ मोहब्बत को रहनुमा अपना

नहीं दुरुस्त दिलों में ग़ुबार तेज़ चलो

बहुत हैं हम में यहाँ लोग गुफ़्तुगू-पेशा

है उन का सिर्फ़ यही कारोबार तेज़ चलो

ख़िरद की सुस्त-रवी से किसे मिली मंज़िल

जुनूँ ही अब तो करो इख़्तियार तेज़ चलो

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Tez Chalo In Hindi By Famous Poet Habib Jalib. Tez Chalo is written by Habib Jalib. Complete Poem Tez Chalo in Hindi by Habib Jalib. Download free Tez Chalo Poem for Youth in PDF. Tez Chalo is a Poem on Inspiration for young students. Share Tez Chalo with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.