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मौलाना - हबीब जालिब कविता - Darsaal

मौलाना

बहुत मैं ने सुनी है आप की तक़रीर मौलाना

मगर बदली नहीं अब तक मिरी तक़दीर मौलाना

ख़ुदारा शुक्र की तल्क़ीन अपने पास ही रक्खें

ये लगती है मिरे सीने पे बन कर तीर मौलाना

नहीं मैं बोल सकता झूट इस दर्जा ढिटाई से

यही है जुर्म मेरा और यही तक़्सीर मौलाना

हक़ीक़त क्या है ये तो आप जानें या ख़ुदा जाने

सुना है जिम्मी-कार्टर आप का है पीर मौलाना

ज़मीनें हों वडेरों की मशीनें हों लुटेरों की

ख़ुदा ने लिख के दी है ये तुम्हें तहरीर मौलाना

करोड़ों क्यूँ नहीं मिल कर फ़िलिस्तीं के लिए लड़ते

दुआ ही से फ़क़त कटती नहीं ज़ंजीर मौलाना

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Maulana In Hindi By Famous Poet Habib Jalib. Maulana is written by Habib Jalib. Complete Poem Maulana in Hindi by Habib Jalib. Download free Maulana Poem for Youth in PDF. Maulana is a Poem on Inspiration for young students. Share Maulana with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.