बगिया लहूलुहान
हरियाली को आँखें तरसें बगिया लहूलुहान
प्यार के गीत सुनाऊँ किस को शहर हुए वीरान
बगिया लहूलुहान
डसती हैं सूरज की किरनें चाँद जलाए जान
पग पग मौत के गहरे साए जीवन मौत समान
चारों ओर हवा फिरती है ले के तीर कमान
बगिया लहूलुहान
छलनी हैं कलियों के सीने ख़ून में लत-पत पात
और न जाने कब तक होगी अश्कों की बरसात
दुनिया वालो कब बीतेंगे दुख के ये दिन-रात
ख़ून से होली खेल रहे हैं धरती के बलवान
बगिया लहूलुहान
(1762) Peoples Rate This