Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_010c367ef35759e90c7ed6cb77de8acc, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
औरत - हबीब जालिब कविता - Darsaal

औरत

बाज़ार है वो अब तक जिस में तुझे नचवाया

दीवार है वो अब तक जिस में तुझे चुनवाया

दीवार को आ तोड़ें बाज़ार को आ ढाएँ

इंसाफ़ की ख़ातिर हम सड़कों पे निकल आएँ

मजबूर के सर पर है शाही का वही साया

बाज़ार है वो अब तक जिस में तुझे नचवाया

तक़दीर के क़दमों पर सर रख के पड़े रहना

ताईद-ए-सितमगर है चुप रह के सितम सहना

हक़ जिस ने नहीं छीना हक़ उस ने कहाँ पाया

बाज़ार है वो अब तक जिस में तुझे नचवाया

कुटिया में तिरा पीछा ग़ुर्बत ने नहीं छोड़ा

और महल-सरा में भी ज़रदार ने दिल तोड़ा

उफ़ तुझ पे ज़माने ने क्या क्या न सितम ढाया

बाज़ार है वो अब तक जिस में तुझे नचवाया

तू आग में ऐ औरत ज़िंदा भी जली बरसों

साँचे में हर इक ग़म के चुप-चाप ढली बरसों

तुझ को कभी जलवाया तुझ को कभी गड़वाया

बाज़ार है वो अब तक जिस में तुझे नचवाया

(2889) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aurat In Hindi By Famous Poet Habib Jalib. Aurat is written by Habib Jalib. Complete Poem Aurat in Hindi by Habib Jalib. Download free Aurat Poem for Youth in PDF. Aurat is a Poem on Inspiration for young students. Share Aurat with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.